जानें क्या है यह शिक्षा नीति?
भारत में शिक्षा नीति की नींव डालने वाले व्यक्ति मौलाना अब्दुल कलाम थे। 24 जुलाई 1968 को आजद भारत में पहली बार इंदिरा गांधी की सरकार के समय “राष्ट्रीय शिक्षा नीति “लाई गई। यह नीति 10+2+3 के फॉर्मेट पर आधारित थीं। जो कोठारी आयोग मिलती जुलती है। दूसरी “राष्ट्रीय शिक्षा नीति” 1986 में राजीव गांधी की सरकार के समय लाई गई। 28 वर्ष पूर्व 1992 में ‘पिवि नरसिम्हा राव’ की अध्यक्षता में इसमें कुछ संशोधन किये गए। भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा 31 मई 2019 को प्रस्तुत किया गया। वित मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी नई “राष्ट्रीय शिक्षा नीति” की घोषणा की थीं। शिक्षा को समवर्ती सूचि के विषय के अन्तर्गत रखा गया है जिसमे केन्द्र्य और राज्य सरकारें नियम में संसोधन की सलाह दे सकती है।
1986 में बनी “राष्ट्रीय शिक्षा नीति “को 34 वर्षों के बाद बदला गया है। ये बदलाव 29 जुलाई 2020 को “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020” के रूप में मंजूरी मिली है। ये देश की सबसे बड़ी राष्ट्रीय शिक्षा नीति है। “नई शिक्षा नीति 2020” के तहत बच्चे के सर्वागिण विकास पर अधिक ज़ोर दिया जाएगा। बच्चे स्कूली शिक्षा ग्रहण करने के साथ-साथ व्यवसाय करने में भी दक्षता हासिल करेंगे। बच्चे स्वयं अपना रोज़गार विकसित कर पाएंगे। आने वाले समय 2025 तक इस नीति को लागू कर दिया जाएगा। इसमें एक और बड़ा कदम उठाया गया है जिसके अंतर्गत मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) का नाम बदलकर “शिक्षा मंत्रालय” रख़ दिया गया है। नई शिक्षा नीति विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और शोध पर आधारित होगी। इन सबको ध्यान में रखते हुए शिक्षा पर होने वाले अब तक के व्यय 4.43% को बढ़ाकर जीडीपी का 6% रखा गया है।
“राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020″ के अंतर्गत स्कूल शिक्षा और उच्च शिक्षा में किए जाने वाले सुधार।
- राजीव गांधी सरकार के समय बनी “राष्ट्रीय शिक्षा नीति” 1986 के 10+2 के फॉर्मेट को बदलकर, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में इसे 5+3+3+4 के खंडो में विभाजित किया गया है।
- 10 वीं 12 वीं की बोर्ड परीक्षाओं में बदलाव किए गए है।
- 3-6 साल तक के बच्चो के लिऐ शिक्षा में बदलाव किए गए है।
- विषय वस्तु की अनिवार्यता को ख़त्म किया जाएगा।
- 5 वीं कक्षा तक के बच्चो के लिऐ अंग्रेज़ी की अनिवार्यता को ख़त्म करके उनको मात्र या क्षेत्रीय भाषा में ही अनिवार्य में शिक्षा दी जाएगी।
- बच्चो के रिपोर्ट कार्ड में बदलाव किया गया है।
- उच्च शिक्षा को तीन साल की जगह चार तक बढाने का प्रावधान किया गया है
- कॉमन एंट्रेस एग्जॉ्म देकर उच्च महाविद्यालय में प्रवेश ले पायेंगे।
- महाविद्याल में भी विषय की अनिवार्यता को ख़त्म किया जाएगा। कला, संगीत, शिल्प, खेल को शामिल किया जाएगा।
- मल्टी एंट्री और मल्टी एग्जिट सिस्टम को विद्यार्थियों की सहूलियत के लिऐ लाया गया है जिसमे विद्यार्थी बिना साल ख़राब किये अपना कोर्स चेंज कर सकता है।
- UGC, NCTE, AICTE को समाप्त करके एकल शिक्षा प्रणाली को लागू किया जाएगा।
- निजी स्कूलों और उच्च महाविद्यालयों पर मनचाही फीस वसूली पर रोक लगाने के लिए बोर्ड बनाया जाएगा।
- छोटे बच्चों के लिऐ बॉडिंग स्कूल बनाएं जाएंगे ताकि बच्चों में खेल के प्रति रुचि पैदा हों।
- अब विद्यार्थी Mphil डिग्री के बिना पीएचडी में दाखिला ले सकते है।
- शोध को बढ़ावा देने के लिए National Research foundation की स्थापना की जाएगी।
- ऑनलाईन, तकनीकी आधारित शिक्षा पर ज़ोर डिया जाएगा।
“नई शिक्षा नीति” 2020 में 5+3+3+4 के इस स्कूल फॉर्मेट को जानें ये क्या हैं।
प्रथम स्टेज।
- प्री प्राइमरी स्कूल के शरुआती 5 साल बच्चों के लिऐ फाउंडेशन स्टेज की रखी गई है। जिसमें बच्चों के अंदर खेल माध्यम से शिक्षा के प्रति रूचि पैदा की जा सके।
- 3 साल के बच्चों को स्कूलों में प्रवेश करवाया जाएगा।
- 3-8 साल के बच्चों को इस स्टेज में रखा गया है।
- इसमें प्री प्राइमरी के तीन साल और कक्षा -1 और कक्षा- 2 को भी शामिल किया गया है।
- NCERT द्वारा प्राईमरी स्कूल का curriculum तैयार करेगी।
द्वितीय स्टेज।
- प्रथम स्टेज के बाद 3 साल का स्टेज रखा गया है।
- यह कक्षा- 3, 4 व 5 के बच्चों के लिऐ है।
- इसमें 8 से 11 साल की उम्र के बच्चें होंगे।
- कला, सामाजिक विज्ञान, गणित, विज्ञान इन सभी विषयों से बच्चों को अवगत करवाया जाएगा।
तृतीय स्टेज।
- तीन साल को इस स्टेज में रखा गया है।
- 11 से 14 साल के बच्चों को इस स्टेज में रखा गया है।
- इस उम्र के बची कक्षा- 6, 7 व 8 तक की शिक्षा लें पायेंगे।
- पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों की प्रोफ़ेशनल और स्किल डेवलेपमेंट पर ध्यान दिया जाएगा।
- तकनीकी शिक्षा, कंप्यूटर ज्ञान, साफ्टवेयर बनाने, मोबाइल फ़ोन बनाने का व्यावहारिक ज्ञान बच्चों को दिया जाएगा।
- स्कूली शिक्षा के साथ साथ बच्चे अपनी रुजि के अनुसार पेंटिंग, संगीत अन्य किसी क्षेत्र में इंटनशिप भी कर पायेंगे।
चतुर्थ स्टेज।
- यह चार साल विद्यालय ज्ञान के अंतिम साल है।
- 14 से 18 साल के बच्चों को इस स्टेज में रखा गया है।
- कक्षा- 9, 10, 11, व 12 को इसमें रखा गया है।
- इससे पूर्व की शिक्षा व्यवस्था में विषयों को कॉमर्स, साइंस, आर्ट्स में विभाजित किया गया था। जिसमे आर्ट्स के विधार्थी को साइंस नहीं पढ़ाई जाती थीं। इस नई शिक्षा प्रणाली में इसे समाप्त कर दिया जाएगा। आर्ट्स का विधार्थी अगर कॉमर्स पढ़ने के इच्छुक है तो वह ऐसा कर पायेगा।
- बच्चे रटने की बजाय विषय को समझें। इसके लिए बच्चों के अंदर सोचने, समझने, तर्क करके निर्णय लेने की क्षमता पर ज़ोर दिया गया है।
- बोर्ड परीक्षा के कारण बच्चों के तनाव को कम करते हुए। कक्षा-10, कक्षा-12 की परीक्षाएं साल में 2 बार करवाई जाएगी जो वस्तुनिष्ठ और व्याख्यान पद्धति से होंगी।
बच्चों का रिपोर्ट कार्ड कैसे तैयार किया जाएगा।
- नई शिक्षा नीति में बच्चों का रिपोर्ट कार्ड 360 डिग्री के असेसमेंट को ध्यान देकर बनाया जाएगा। इसमें परीक्षा के दौरान प्राप्त किए गए अंक, बच्चे का व्यवहार, स्कूल में आयोजित करवाई जाने वाली गतिविधियों में बच्चे की रुचि इत्यादि को ध्यान में रखते हुए रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जाएगा।
- बच्चों के अंकों का आंकलन पहले बच्चा स्वयं करेगा , फ़िर उसके सहपाठी, और फ़िर उसके शिक्षक करेंगे।
स्कूल में कम अंक आने पर भी विधार्थी लें पायेंगे कॉलेज में दाखिला ?
विधार्थी के कम अंक आने पर भी आगे की पढ़ाई जारी रख सकते हैं। इसके लिए यूनीवर्सिटी द्वारा लिया जाने वाला कॉमन एंट्रेस एग्जाम पास करना होगा। यदि विद्यदर्थी यूनिवर्सिटी के एंट्रेंस एग्जाम में पास हो जाता है तो वह अपने पसंदीदा कॉलेज में पढाई जारी रख सकता है।
विधार्थियो के लिऐ एकेडमी बैंक ऑफ क्रेडिट क्या है और इसके क्या फायदे है।
विद्यार्थी उच्च विद्याल में शिक्षा ग्रहण कर रहा है। अगर किसी कारण उसे अपनी पढ़ाई बिच में ही छोड़नी पड़ रहीं हों या उसका मन किसी अन्य विषय में शिक्षा ग्रहण करने का हो गया हो। उसके द्वारा की गई पढ़ाई के साल व्यर्थ नहीं जाएंगे।
उसे 1 साल का कोर्स करने पर सर्टिफिकेट, 2 साल का कोर्स करने पर डिप्लोमा, तीन साल का कोर्स करने पर बैचलर डिग्री, 4 साल का कोर्स के साथ रिसर्च करने पर उसे डिग्री दी जाएगी। अलग-अलग विषयों में रुचि रखने वाले विद्यार्थिओं के लिए “एकेडमी बैंक ऑफ क्रेडिट ” बनाया है। जिसमे विद्यार्थो के अंक रखें जाएंगे ताकि आने वाले समय में उनके काम आ पाएं।
नई शिक्षा नीति में बीएड के विद्यार्थियों के लिए है ये बदलाव।
ग्रेजुएशन के साथ अगर विधार्थी बीएड करने का इच्छुक है, तो उसके लिए 1 साल की b.ed रहेंगी। और यदि ग्रेजुएशन करने के बाद अगर विधार्थी b.ed करने का मन बनाता है, तो उसको दो साल की b.Ed करनी होंगी। वहीं पोस्ट-ग्रेजुएशन करने के बाद अगर विद्यार्थी की रूचि b.ed करने में है तो उसे 1 साल की b.ed करनी होंगी।