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दिवाली 2024 : पूजन शुभ महूर्त 

हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, दिवाली कार्तिक अमावस्या या कार्तिक माह की अमावस्या को पड़ता है। यह त्यौहार विशेष रूप से हिन्दुस्थान के उत्तरी राज्यों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। दिवाली एक हिंदू त्यौहार है। इसे रोशनी का त्योहार माना जाता है, क्योंकि इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी। और यह त्यौहार हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। इसे धनतेरस से भैया दौज तक 5 दिन का त्योहार माना जाता है। वर्ष 2024 में दीपावली 31 दिसंबर  की मनाई जाएगी, जिस दिन लक्ष्मी जी की पूजा होती है। 

दिवाली से जुडी कहानी

सर्वप्रथम भारत में दिवाली रामचंद्र भगवान जी के 14 वर्ष के वनवास पूर्ण कर कर अयोध्या आए थे। तब अयोध्या वासियों ने राजा के वनवास पूरा होने और उनका अयोध्या लौटने की खुशी में सर्वप्रथम दिवाली बनाई थी, और दीप प्रज्वलित करके उनका भव्य स्वागत किया था। साथ ही इसका एक कारण यह भी है की भगवान राम ने रावण का वध करके सीता माता को मुक्त कराया और बुराई पर अच्छाई की जीत हुई। इसीलिए दशहरे के तुरंत बाद हिदुओ का यह पावर पर्व आता है, इसे हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। और इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त 2024 

हिन्दू ग्रंथो के अनुसार मां लक्ष्मी का प्रादुर्भाव प्रदोष काल में हुआ था, और स्थिर लग्न में मां लक्ष्मी की पूजन करने से महालक्ष्मी स्थिर रहती हैं। पूजन का समय प्रदोष काल में पड़ने वाले वृषभ लग्न में ही माता लक्ष्मी जी व भगवान गणेश का पूजन करना अति उत्तम रहेगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार 31 अक्तूबर को वृषभ लग्न शाम को 6:25 से लेकर रात्रि 8:20 तक रहेगा। साथ ही इस समय प्रदोष काल भी भी रहेगा। प्रदोषकाल, वृषभ लग्न और चौघड़ियां का ध्यान रखते हुए लक्ष्मी पूजन के लिए 31 अक्तूबर की शाम को 06:25 से लेकर 7:13 के बीच का समय सर्वोत्तम रहेगा। सीधे शब्दों में कहे तो लक्ष्मी जी और भगवन गणेश के पूजन का समय 48 मिनट का यह मुहूर्त ही सर्वश्रेष्ठ रहेगा। 

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त

हिन्दू पंचाग के अनुसार, गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर में 3:23 से लेकर 5:35 के बीच में रहेगा। और शाम 7:20 बजे से लेकर रत 8:00 बजे तक रहेगा। 

दिवाली 5 दिन का त्योहार है, और उन पाँचो दिनों दिनों का वर्णन नीचे दिया गया है।

दिन 1: धनतेरस

दिवाली का यह त्यौहार इसी दिन से शुरू होता है। इस दिन भगवान कुबेर की पूजा की जाती है क्योंकि भगवान कुबेर को धन का मालिक कहा जाता है, और इसीलिए धनतेरस के दिन उनकी पूजा की जाती है। जिससे समृद्धि और धन की बना रहे हैं। और आज के दिन भक्त सोने के सिक्के, सोने की छड़ें या सोने के आभूषण सहित नई वस्तुएं खरीदते हैं।

दिन 2: नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली

धनतेरस के बाद छोटी दीपावली मनाई जाती है या नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। यह राक्षस नरकासुर के विरुद्ध भगवान कृष्ण की विजय के उपलक्ष में मनाई जाती है। यह इस 5 दिन के त्यौहार का दूसरा दिन मन जाता है। 

दिन 3: दिवाली 

इस दिन दिवाली को भगवान राम 14 वर्ष का वनवास पूर्ण करके माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या पधारे थे। दिवाली बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए भी मनाई जाती है। इस दिन लोग अपने घरों को मिट्टी के दीयों, रंग-बिरंगी रंगोली और रोशनी से सजाते हैं। और शाम को लक्ष्मी व गणेश जी का पूजन भी करते हैं। 

दिन 4: गोवर्धन पूजा 

यह दीपावली के एक दिन बाद मनाया जाता है। और इस दिन सभी श्रद्धालु भक्तजन गोवर्धन पूजा करते हैं। यह पूजा गोवर्धन पर्वत के लिए समर्पित है। ऐसा कहा जाता है। कुछ ऐसी कथाएं प्रचलित है। जब भगवान इंद्र ब्रजवासियों से नाराज हो गए थे, और उन्हें भयंकर वर्षा आदि से प्रताड़ित करने लगे तो भगवान श्री कृष्ण ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाया और सभी बृजवासियों की रक्षा की, तब से गोवर्धन पर्वत को सम्मान देने के लिए हर साल दीपावली अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। और यह आज भी ब्रज में स्थित है। 

दिन 5: भाई दूज

भाई दूज यह दिन दिवाली के त्यौहार का अंतिम दिन मन जाता है। और इसे भाई दूज, भाऊ बीज या भैया दूज के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहने आपने भाइयों के लिए सुख, समृद्धि व उनके उज्वल भविष्य के लिए मंगल कामना करती है। और प्रेम पूर्वक भाइयो का तिलक करती है। 

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