योग क्यों है जरूरी।
स्वस्थ्य जीवन कौन नहीं जीना चाहता। आज दुनियाँ पैसों के पीछे दौड़ रही है। उसके पास अपने स्वास्थ्य के लिए समय नहीं है। जीवन की अगर सबसे बड़ी पूँजी केवल मानव शरीर है। शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहना ही सही अर्थों में स्वास्थ्य है। बाहरी रूप से देखने पर हर कोई स्वस्थ्य नज़र आता है। ये ज़रूरी नहीं कि वह पूर्ण रूप से स्वस्थ्य हो। रिश्तों, व्यापार, घर की समस्याएँ और बीमारियों के कारण मानसिक परेशानियों का सामना करते है।
योग के फायदे।
योग हमारे लिए हमारे पूर्वजों का दिया हुआ आशीर्वाद है। जो हमने ग्रहण किया है। योग हमारे शरीर व मस्तिष्क के मध्य एक तालमेल रखता है। इनके तालमेल से आनंद की अनुभति होती हैं। इस आनंद को आप पेसो से नहीं ख़रीद सकते। ये मात्र केवल योग करने से ही प्राप्त हो सकता है। योग एक कला है। जिसका व्यापक स्तर है। इसकी व्यापकता एवं इसके महत्त्व को भारत व विकसित देशों ने स्वीकार किया है। योग को देश एव विदेश में लोग दैनिक जीवन की क्रियाओं का हिस्सा बना रहे है।
11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्रसंघ ने 21 जून को विश्व योग दिवस मनाने की घोषणा की।
योग का शारीरिक व मानसिक महत्त्व।
योग शारीरिक व मानसिक रूप से सुख की अनुभूति करवाता है। शरीर को बीमारियों से दूर कर सुडौल व स्वस्थ्य बनाता है। मानसिक स्तर को नियंत्रित करता है। थकान को दूर कर कार्य करने की क्षमता को बढ़ाता है। योग की अलग अलग मुद्रा को करने से रक्त का संचालन अच्छे से बना रहता है। जिसे स्वस्थ्य शरीर की प्राप्ति होती है।
श्वास सम्बन्धी रोगों से छुटकारा।
योग श्वास को नाक से खींचकर कुछ समय रोककर व छोड़ने से श्वास सम्बन्धी अस्थमा जैसी बीमारीयो से छुटकारा दिलाता है। क्योंकि ऐसा करने से फेफड़ों में वायु स्तर बढ़ जाता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता।
शरीर में खाने के साथ, पानी पीने के साथ या अन्य गतिविधियों से शरीर में बैक्टीरिया चले जाते हैं। जो आंतरिक रूप से शरीर को अस्वस्थ्य बनाता है। उन बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए योग इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।
हृदय संबंधी बीमारियाँ।
कोलेस्ट्रोल की बढ़ी हुई मात्रा जो हृदय रूपी विकारों को जन्म देती है। जिसे योग नियंत्रित करके कम करता है। और हृदय में हार्टअटैक जैसे खतरों को दूर करता है।
शरीर का आकार।
योग बीमारियों व तनाव को दूर करने में सहायक है। शरीर को सुडौल बनाता है। योग से शरीर की सुंदरता के अनुसार बॉडी को आकर दिया जा सकता है। योग करने से वजन संतुलित रहता है।
तनाव से राहत।
योग की मुद्रा में बैठकर शांत मन से योगासन किया जाता है। जो शरीर और मन को एक साथ मिलाने की अनुभूति होती है। जो मन को राहत देता है। मन में उपस्थित तनाव को कम करता है।
एकाग्रता की क्षमता।
नियमित योग करने भटकते हुए मन को नियंत्रित किया जा सकता है। एकाग्रता की क्षमता का विकास कर सकते है। जो काम, स्टडी, व्यापार में एकाग्रता का विकास होता है। जिससे हमारे कार्य क्षमता का विकास होता है।
सोचने समझने की क्षमता में वृद्धि।
योग करने से तर्क वितर्क करने की शक्ति का विकास होता है। एकाग्रचित होकर कार्यों को सोच समझकर करने की प्रवृति विकसित हो जाती है।
वृद्धि व विकास में सहायक।
योग शरीर व मस्तिष्क दोनों की वृद्धि एवं विकास में सहायक है। सोचने समझने में सहायक कोशिकाओं का विकास कर मानसिक संतुलन को अच्छे से बनाएं रखता है।
सवेंगो को नियंत्रित करता है।
योग नियमित करने से कुशाग्र प्रवर्ति का विकास होता है। योग से सवेंगों पर आसानी से नियंत्रण पाया जा सकता है।