भारतीय खेल जगत में महिलाओ का अभूतपूर्व योगदान रहा है। जिसे भुलाया नहीं जा सकता। भारतीय महिलाओं ने खेल जगत में एक स्वर्णिम युग का निर्माण किया है। मुश्किल हालातों का सामना करते हुए कामयाबी की बुलंदियों को छुआ है। इन महिलाओं ने अपने खेल प्रदर्शन से आने वाली पीढ़ी के लिए मापदंड स्थापित किये है। इन महिलाओं ने खेलो में शीर्ष स्थान प्राप्त करने के साथ साथ युवा पीढ़ी को भी प्रेरित किया है। आज हम आप को महिला खिलाड़ियों की उपलब्धि के बारे में बताने जा रहे है।
एमसी मैरीकोम
मैरीकोम की सफलताओ को आज भारत ही नहीं बल्कि विश्व भी जनता है। पारिवारिक मुश्किलों को पीछे छोड़ते हुए, मैरीकोम ने अपना और देश का नाम रोशन किया है। मैरीकोम ने बॉक्सिंग में कई राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय ख़िताब अपने नाम किये है। इन उपलब्धियों से मेरीकोम ने भारतीय महिलाओं को एक अलग ही पहचान दी है।
मैरीकोम का जीवन परिचय:-
36 वर्ष की मैरीकोम की आखिरी उपलब्धि 2018 की है। मेरीकोम पहला पदक 2001 में जीता उसके बाद मेरीकोम ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। 6 बार का विश्व चैंपियन ख़िताब जितने का भी इतिहास रच दिया।
- पूरा नाम – मांगते चुंगनेजंग मैरी कोम।
- जन्म स्थान – कन्गथेइ, मणिपुरी, भारत।
- जन्म तारीख – 1 मार्च, 1983।
- माता – मांगते अक्हम कोम।
- पिता – मांगते तोंपा कोम।
- कोच – गोपाल देवांग, एम् नरजीत सिंह, चार्ल्स अत्किनसन, रोंगमी जोसिया।
- निवास स्थान – इम्फाल, मणिपुर।
बॉक्सिंग करियर:-
मैरीकोम की रूचि एथलेटिक्स थी। उनकी तीन बहनो और एक भाई ने अछि पड़े की थी। मैरीकोम भाई-बहनो में सबसे बड़ी होने के कारण घर की आर्थिक स्थिति का भी सही नहीं थी। जिससे मैरी को पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी।
एक दिन मैरी स्कूल में फुटबॉल खेल रही थी। उस दिन उनके गुरु डिंगको सिंह बॉक्सिंग की प्रैक्टिस कर रहे थे। उनको देख कर मैरी ने बॉक्सिंग खेलने का निर्णय लिया। उस समय महिलाओ के लिए बॉक्सिंग खेलना इतना आसान नहीं था। इस खेल में काफी डाइट चाहिए। सबसे बड़ी बात ये थी की मेरी को इस खेल के लिए अपने घर वालो को मानना था। मैरीकोम के पिताजी बहुत चिंतित थे उनके इस खेल से पर वो मैरी को खेलने से नहीं रोक पाये।
पुरस्कार एवं उपलब्धियाँ:-
- 2001 में एआईबीए वर्ल्ड वुमन्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।
- 2002 में एआईबीए वर्ल्ड वुमन्स सीनियर बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।
- 2003 में अर्जुन पुरस्कार दिया गया।
- 2003 में एशियन वुमन्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।
- 2004 में ताईवान में एशियन वुमन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।
- 2005 में एआईबीए वुमन्स वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।
- 2006 में पद्म श्री दिया गया।
- 2006 में एआईबीए वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।
- 2008 में चीन में वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।
- 2009 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार दिया गया।
- 2010 में एआईबीए वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।
- 2010 एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता।
- 2012 लंदन ओलम्पिक में कांस्य पदक जीता।
- 2013 में पद्म भूषण दिया गया।
- 2014 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता।
- 2017 एशियाई महिला चैंपियनशिप स्वर्ण पदक जीता।
- 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स गोल्ड पदक जीता।
- 2018 AIBA महिला विश्व चैंपियनशिप स्वर्ण पदक जीता।
- 2020 में पद्म विभूषण दिया गया।
मैरीकोम ने जीवन संघर्ष और खेल के मध्य जो तालमेल था। मैरीकोम के जीवन के इसी तालमेल पर बनी फिल्म में अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने अभिनय किया जो काफी पसंद की गया।
साइना नेहवाल
साइना नेहवाल भारत की बैडमिंटन खिलाड़ी है। जिसने अपने खेल से अपना और देश का नाम दुनिया में रोशन किया। वह बैडमिंटन में नंबर 1 खिलाड़ी रही है। साइना ने लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीत चुकी है। साइना अभी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुई है।
साइना का जीवन परिचय:-
साइना के पिता एक वैज्ञानिक होते भी वे एक स्टेट लेवल के खिलाड़ी थे। माँ बैडमिंटन में पूर्व चैंपियन खिलाड़ी थी। साइना को यह खेल विरासत में मिला है।
- पूरा नाम – सायना नेहवाल
- जन्म तारीख – 17 मार्च 1990
- जन्म स्थान – हिसार, हरियाणा
- माता – उषा रानी
- पिता – हरवीर सिंह
- पति – परुपल्ली कश्यप
- कोच – नानी प्रसाद
साइना की शिक्षा:-
साइना ने स्कूल की शिक्षा हिसार हरियाणा से ली है। पिता के हैदराबाद ट्रांसफर होने के कारण पूरा परिवार भी शिफ्ट हो गया। साइना ने 10वी का फॉर्म दुबारा भरा और आगे की पड़े यही से पूरी की। नेहवाल पढाई के साथ साथ खेल में भी बहुत रूचि लेती थी। बहुत कम लोग जानते है, की साइना को कराटे में ब्राउन बेल्ट मिला है। मेहदीपट्टनम से इंटर्मेडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की।
बैडमिंटन में करियर:-
साइना ने बैडमिंटन खेलना 8 साल की उम्र से शुरू किया। प्रोफेशनल कोचिंग एसएम आरिफ के उचित मार्गदर्शन में शुरू किया। कोच आरिफ भी द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित थे। अपनी प्रतिभा और कड़ी मेहनत से बैडमिंटन खेलना शुरू किया। तो पीछे मुड कर नहीं देखा। और लोगो के दिलो में अपनी जगह बनायीं।
साइना ने पुलेला गोपीचंद की अकादमी हैदराबाद में प्रशिक्षण प्रारंभ किया। नेहवाल ने अपने खेल प्रदर्शन से राज्य, राष्ट्र और अन्तराष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन किया। साइना ने अपनी खेल प्रतिभा से युवा पीढ़ी को प्रेरित किया है।
पढ़ें:- सेना नेहवाल की जीवनी
उपलब्धियाँ:-
- 2003 में जो जूनियर चेक ओपन जीता।
- 2004 के कॉमनवेल्थ यूथ गेम दूसरा स्थान प्राप्त किया।
- 2005 एव 2006 एशियाई सैटेलाइट बैडमिंटन टूर्नामेंट को लगातार 2 बार जीता।
- 2006 पर-सीरिज़ टूर्नामेंट, फिलीपींस ओपन जीता।
- 2008 वर्ड जूनियर बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतने वाले प्रथम भारतीय बनीं।
- 2008 चीनी ताइपे ओपन ग्रां प्री गोल्ड, भारतीय राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियनशिप, कॉमनवेल्थ यूथ जीता।
- 2009 इंडोनेशिया ओपन जीता।
- 2010 इंडिया ओपन ग्रां प्री गोल्ड, सिंगापुर ओपन सुपर सीरिज़, इंडोनेशिया ओपन सुपर सीरिज़ और हांगकांग सुपर सीरिज़ भी जीती।
- 2010 राष्ट्रमंडल खेलों स्वर्ण पदक जीता।
- 2011 स्विट्ज़रलैंड स्विस ओपन ग्रां प्री गोल्ड जीता, मलेशिया ओपन ग्रां प्री गोल्ड, इंडोनेशिया ओपन सुपर सीरिज़ प्रीमियर और बीडब्ल्यूएफ सुपर सीरिज़ मास्टर्स में दूसरा स्थान प्राप्त किया।
- 2012 स्विस ओपन ग्रां प्री गोल्ड, थाईलैंड ओपन ग्रां प्री गोल्ड जीता और इंडोनेशिया ओपन सुपर सीरिज़ प्रीमियर जीता।
- 2012 लंदन ओलंपिक कांस्य पदक जीता।
पुरस्कार:-
- बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन द्वारा सबसे होनहार खिलाड़ी का सम्मान (2008).
- अर्जुन पुरस्कार (2009).
- राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार (2010).
- पद्म श्री (2010).
- पद्म भूषण (2016)
पीवी सिंधु
पुसरला वेंकट सिंधु ने अपना करियर बैडमिंटन खिलाड़ी के रूप में शुरू किया। रियो ओलंपिक में पदक जीतकर सिंधु ने अपना और देश का नाम रोशन किया। पीवी सिंधु ने युवा भारतीय महिला खिलाड़ियों के लिए एक आदर्श प्रस्तुत किया है। खेल की भावना सिंधु को परिवार से मिली है। सिंधु के पिता वॉलीबॉल में वर्ष 2000 में अर्जुन पुरस्कार प्राप्त कर चुके है।
पीवी सिंधु का जीवन परिचय:-
पीवी सिंधु जन्म 5 जुलाई, 1995 में हुआ। माता – पी. विजया और पिता – पी. वी. रमण दोनों ही पूर्व वॉलीबॉल खिलाड़ी रह चुके है। पिता को अर्जुन पुरस्कार तक मिल चुका है। सिंधु की वॉलीबॉल के प्रति खास रूचि नहीं थी। पुलेला गोपीचंद उनके खेल के आदर्श थे। इसके चलते सिंधु ने पुलेला गोपीचंद अकादमी से प्रशिक्षण लिया। पीछे मुड़ कर नहीं देखा और कामयाबी के शिखर पर पहुंच गयी।
- नाम – पुसर्ला वेंकट सिंधु।
- जन्म तारीख – 5 जुलाई, 1995।
- जन्म स्थान – हैदराबाद, तेलंगाना, भारत।
- माता – पी. विजया (पूर्व वॉलीबॉल खिलाड़ी)।
- पिता – पी. वी. रमण (पूर्व वॉलीबॉल खिलाड़ी)।
- कोच – पुलेला गोपीचंद।
बैडमिंटन में करियर:-
सिंधु ने बैडमिंटन खेलना 8 वर्ष की उम्र में शुरू कर दिया था। उनकी प्रेरणा के स्त्रोत बैडमिंटन चैंपियन पुलेला गोपीचंद थे। पहले उनके गुरु महबूब अली थे। उसके बाद सिंधु ने पुलेला गोपीचंद से मार्गदर्शन पाकर खेल बारीकियों को सीखा।कड़ी मेहनत करते हुए उपलब्धियों के शिखर पर पहुंची।
उपलब्धियाँ:-
- 2009 एशियन बैडमिंटन चैंपियनशिप, कांस्य पदक।
- 2010 फेजर इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज का खिताब।
- 2012 में एशिया यूथ अंडर-19 चैंपियनशिप खिताब।
- 2013 बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड चैंपियनशिप कांस्य पदक।
- 2013 मलेशियन ओपेन विजेता।
- 2014 उबेर कप कांस्य पदक।
- 2016 चाइना ओपन सुपर सीरीज़ विजेता।
- 2016 रियो ओलम्पिक एकल बैडमिंटन रजत पदक।
- 2017 कोरिया ओपन सुपर सीरीज़ विजेता।
- 2017 बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप रजत पदक।
- 2017 इंडिया ओपन सुपर सिरीज़ विजेता।
पुरस्कार:-
- 2013 अर्जुन पुरस्कार।
- 2015 पद्म श्री।
- 2016 राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार।
गीता फोगाट
कुश्ती के खेल में गीता फोगाट एक जाना माना नाम है। गीता फोगाट एक फ्रीस्टाइल भारतीय महिला पहलवान है। जिन्होंने पहली बार फ्रीस्टाइल पहलवानी में राष्ट्रमंडल खेलो में पदक जीता। गीता पहली भारतीय पहलवान है, जिन्होंने ओलम्पिक क्वालीफाई किया।
गीता फोगाट के पिता महावीर फोगाट भी एक पहलवान थे। जिन्होंने अपनी बेटियों को कुश्ती सिखाई। जिसका उनके समाज के लोगो ने बहुत विरोध किया। फिर भी महावीर फोगाट ने अपनी बेटियों को कुश्ती सिखाई। इसी का परिणाम है की आज उनकी बेटियाँ देश और विदेश स्तर पर पदक जीत रही है।
जीवन परिचय:-
गीता फोगट का जन्म 15 दिसम्बर,1988 में एक जाट परिवार में हुआ था। उनके पिता, महावीर सिंह फोगट एक पूर्व पहलवान हैं। जिन्होंने द्रोणाचार्य पुरस्कार भी प्राप्त किया हैं। मां शोभा कौर गृहिणी हैं।
- नाम – गीता कुमारी फोगाट।
- जन्म तारीख – 15 दिसम्बर,1988।
- जन्म स्थान – गाँव- बिलाली, भिवानी, हरियाणा।
- खेल – फ्रीस्टाइल पहलवान।
- पिता का नाम – महावीर सिंह फोगाट।
- माता का नाम – दया कौर।
- बहनें – बबीता कुमारी, संगीता फोगाट, रितु फोगाट।
उपलब्धियाँ:-
- गीता फोगट ने 2009 में कॉमनवेल्थ कुश्ती चैंपियनशिप में अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती का पदार्पण किया और स्वर्ण पदक जीता।
- ऑस्ट्रेलिया से एमिली बेन्स्टेड को हराया। उन्होंने 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों में महिलाओं की कुश्ती में भारत का पहला स्वर्ण पदक जीता।
- उसने विभिन्न कुश्ती चैंपियनशिप जीती, जिसमें एशियाई खेल, राष्ट्रमंडल खेल और कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट शामिल थे। वह ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान भी हैं।
पुरस्कार:-
- 2010 राष्ट्रमंडल खेल स्वर्ण।
- 2012 अर्जुन पुरस्कार।
- 2012 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप कांस्य।
सानिया मिर्ज़ा
सानिया मिर्ज़ा को भारत की सबसे सफल टेनिस खिलाड़ी कहा जाता है। इनकी टेनिस में विश्व रैंकिंग 50 से कम थी। यह रैंकिंग किसी भी भारतीय टेनिस खिलाड़ी के लिए श्रेष्ठ है। ये भारतीय महिला खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। सानिया को एकल और डबल चैंपियनशिप मे कई ट्रॉफी हासिल है। सानिया मिर्ज़ा टेनिस के साथ फैशन और ग्लैमर की दुनिया में भी फेमस है।
जीवन परिचय:-
सानिया के पिता इमरान मिर्ज़ा पहले पत्रकार थे। बाद मे उन्होंने खुद का प्रिंटिंग का व्यवसाय शुरू कर दिया। उनकी माँ नसीमा मिर्ज़ा पहले से ही प्रिंटिंग के व्यवसाय में थी। कुछ समय बाद ही परिवार हैदराबाद शिफ्ट गया। टेनिस में उनके पहले गुरु उनके पिता ही थे।
- नाम – सानिया मिर्ज़ा मलिक।
- जन्म तारीख – 15 नवम्बर,1986
- जन्म स्थान – मुंबई ,महाराष्ट्र, इंडिया
- खेल – टेनिस
- पिता का नाम – इमरान मिर्ज़ा
- माता का नाम – नसीमा मिर्ज़ा
- बहन – अनम मिर्ज़ा
- पति – शोएब मालिक (पाकिस्तानी क्रिकेटर)
- शिक्षा – ग्रेजुएट
सानिया का टेनिस करियर:-
माता पिता ने बचपन से ही टेनिस के मैदान मे उतार दिया। सानिया ने 6 की उम्र से टेनिस खेलना शुरू था। उनके पिता ने हैदराबाद के निज़ाम क्लब में दाख़िला दिलवा दिया। इनके पहले गुरु टेनिस के खिलाड़ी महेश भूपति थे। इन्होने बाद में सिकंदराबाद में “ सिनेट ” टेनिस अकादमी से प्रशिक्षण लिया। इसके बाद ये अमेरिका की “एस टेनिस अकादमी” से टेनिस की बारीकियाँ सीखी। जिससे सानिया मिर्ज़ा ने अनेक राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय ख़िताब अपने नाम किये।
उपलब्धियाँ:-
- 2003 में रूस की एलिसा क्लेबानोवा के साथ मिलकर विंबलडन चैंपियनशिप गर्ल्स डबल्स का खिताब जीता।
- 2004 एशियाई टेनिस चैंपियनशिप में उप विजेता।
- 2005 यू.एस. ओपन में ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट के चौथे दौर, ऑस्ट्रेलियाई ओपन के तीसरे दौर में पहुँचने वाली पहली भारतीय बनीं थी।
- हैदराबाद का ओपन डब्ल्यूटीए एकल खिताब जीता।
- 2006 दोहा में एशियाई खेलों में सानिया – लिएंडर पेस मिश्रित युगल में स्वर्ण पदक और महिला एकल वर्ग में रजत पदक जीता।
- 2007 यूएस ओपन में सानिया – महेश भूपति मिश्रित क्वार्टर फाइनल खेला।
- 2009 महेश भूपति के साथ मिलकर ऑस्ट्रेलियन ओपन के मिश्रित युगल और ग्रैंड स्लैम जीता।
- 2009 बैंकॉक में पटाया वूमेन ओपन टूर्नामेंट जीता।
पुरस्कार:-
- पद्म श्री (2006)
- अर्जुन पुरस्कार (2012)
- राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार (2015)
- पद्म भूषण (2016)
हरमनप्रीत कौर
आज के समय हरमनप्रीत कौर किसी पहचान का मोहताज़ नहीं है। हरमनप्रीत भारतीय क्रिकेट का जाना माना नाम है। हरमन भारतीय महिला क्रिकेट मे प्रेरणा स्त्रोत है। हरमन क्रिकेट के तीनो फॉर्मेट (टेस्ट, वनडे और टी20) मे खेल चुकी है। और काफी अच्छा प्रदर्शन भी किया है। खेल जगत में महिलाओं के योगदान मे हरमनप्रीत कौर का अहम् योगदान है।
जीवन परिचय:-
इनके पिता हर्मन्दर सिंह एक अच्छे वॉलीबॉल प्लेयर रहे है। इनकी माता सतविंदर कौर बास्केटबॉल खिलाडी रही है। हरमनप्रीत ने माता पिता का खेल ना खेल कर अपनी प्रतिभा को क्रिकेट मे निखारा है। जिससे हरमन ने महिला क्रिकेट मे एक अलग पहचान बनायीं है।
- नाम – हरमनप्रीत कौर भुल्लर
- जन्म तारीख – 8 मार्च 1989
- जन्म स्थान – मोगा, पंजाब, इंडिया
- खेल – क्रिकेट
- पिता का नाम – हर्मन्दर सिंह भुल्लर
- माता का नाम – सतविंदर कौर
- बहन – हेमजीत कौर
हरमनप्रीत कौर का क्रिकेट करियर:-
हरमनप्रीत ने 20 साल की उम्र मे वर्ल्ड कप 2009 मे पाकिस्तान के खिलाफ खेलकर अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत की थी।
उपलब्धियाँ:-
- वर्तमान मे हरमनप्रीत की विश्व क्रिकेट मे 8 रैंकिंग है।
- 2009 मे टी20 वर्ल्ड कप से करियर सुरु किया।
- 2015 मे दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 9 विकेट लिए थे।
पुरस्कार:-
- 2017 मे हरमन को अर्जुन पुरुस्कार मिला था।
- हरमनप्रीत कौर भारतीय राष्ट्रीय क्रिकेट टीम और मुंबई इंडियंस की कप्तान भी हैं।
Note:- आप क्रिकेट के बारे अधिक जानकारी के लिए हमारे दूसरे ब्लॉक क्रिकेट और क्रिकेट के इतिहास का परिचय पद सकते है।