जयपुर, राजस्थान की राजधानी, यह भारत का एक खूबसूरत और ऐतिहासिक शहर है। जिसे “गुलाबी शहर” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि 19वीं शताब्दी में इसे गुलाबी रंग में रंगा गया था। यह शहर अपनी बेजोड़ वास्तुकला, रंगीन बाजारों, किलों और महलों के लिए प्रसिद्ध है। इसकी स्थापना 1727 में राजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने की थी। यह शहर भारत के पहले नियोजित शहरों में से एक है और इसकी योजना वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों पर आधारित है।
Best Place in Jaipur
- आमेर किला
- जलमहल
- हवामहल
- जंतर – मंतर
- गोविंददेव जी
- नाहरगढ़ किला
- जयगढ़ किला
- पत्रिका गेट
- बिड़ला मंदिर
- गलता जी
- सिटी पैलेस
- चोखी ढाणी
- अलबर्ट हॉल म्यूजियम
- पन्ना मीणा का कुंड
- जयपुर के शाही बाजार
- आमेर का किला: राजस्थान का गौरव
आमेर का किला, जयपुर के निकट स्थित एक भव्य किला है जो राजस्थान की समृद्ध संस्कृति और वास्तुकला का प्रतीक है। यह किला कछवाहा राजपूत शासकों का मुख्य निवास हुआ करता था और आज यह भारत के सबसे लोकप्रिय पर्यटक स्थलों में से एक है। आमेर का यह किला अरावली की पहाड़ियों पर स्थित है जिसे 16वीं शताब्दी में कछवाहा राजपूत शासकों द्वारा निर्मित कराया गया। और यह किला अनेक युद्ध का गवाह भी हैं। तथा राजस्थान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
आमेर का किला?
- वास्तुकला: आमेर किला लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से निर्मित है। इसकी भव्य वास्तुकला में हिंदू और मुस्लिम शैलियों का मिश्रण देखने को मिलता है। यह किला चार स्तरों पर फैला हुआ है। जिसमे दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, शीश महल और सुख निवास शामिल हैं।
- शीश महल: शीश महल आमेर किले का सबसे आकर्षक महल है। इस महल की दीवारें हजारों शीशों से सजी हैं जो सूर्य की रोशनी से शानदार चमकदार हैं।
- जलेब चौक: यह एक विशाल प्रांगण है जहां राजा का दरबार लगात था।
- सुंदर बगीचे: किले के अंदर सुंदर बगीचे भी स्थित हैं जहां आप शांति व प्रकृति का आनंद ले सकते हैं।
किले के मुख्य दार्शनिक स्थल:
- शीश महल: शीशों का जादू और रोशनी का एक सौन्दर्य दिर्श्य देखने के लिए।
- जलेब चौक: किले का मुख्य प्रांगण।
- सुख निवास: गर्मी के मौसम में राज परिवार का निवासस्थान ।
- शिला देवी का मंदिर: यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित मंदिर है।
- जलमहल :-
जलमहल, राजस्थान की राजधानी जयपुर के मानसागर झील के मध्य में स्थित है जिसे ‘आई बॉल’ के नाम से भी जाना जाता है। यह महल झील के बीचों-बीच स्थित है और चारों ओर से अरावली की पहाड़ियों से घिरा है। इस महल माँ निर्माण राजपूत राजा सवाई जयसिंह ने 1699 में करवाया था। यह महल 5 मंजिल का है जिसकी 4 मंजिल नीचे पानी में और 1 मंजिल पानी से ऊपर स्थित है।
पर्यटन स्थल
जलमहल केवल ऐतिहासिक स्थल नहीं बल्कि एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है जिसे हर साल लाखो लोग देखने आते है। और झील में नाव का आनंद लेते हुए जलमहल की सैर पर जाते हैं। जो राजस्थानी संस्कृति और वास्तुकला का प्रतीक है।
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- हवा महल: जयपुर का शानदार आभूषण
हवा महल, जिसे “पैलेस ऑफ विंड्स” के नाम से भी जाना जाता है, 5 मंजिल का यह महल राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित जिसे हिंदुस्तान के सबसे खूबसूरत महलो में से एक मन जाता है। यह एक ऐतिहासिक महल है। जिसका निर्माण महाराजा सवाई प्रताप सिंह द्वारा 1799 में कराया गया था। यह महल लाल और गुलाबी बलुआ पत्थर से बना है और यह सिटी पैलेस का एक हिस्सा है, जो ज़नाना या महिला कक्षों तक फैला हुआ है।
हवा महल की खिड़कियाँ
हवा महल में 953 खिड़कियाँ है, जिन्हें झरोखा भी कहा जाता है, जो महल विशेषता और सुंदरता को और भी बढ़ाते है। और इनका डिज़ाइन इस प्रकार किया गया है कि राजघराने की महिलाएँ बिना देखे नीचे की गतिविधियों का अवलोकन कर सकें। ये खिड़कियाँ न केवल सजावटी हैं, बल्कि गर्मियों में ठंडी हवा को अंदर लाने में भी मदद करती हैं, जिससे महल का वातावरण सुखद बना रहता है।
- जंतर-मंतर: जयपुर का खगोलीय आश्चर्य
जंतर मंतर, यह एक खगोलीय वेधशाला है जिसे जयपुर, के संस्थापक महाराजा सवाई जय सिंह ने 1734 में बनवाया था। इसके निर्माण का उद्देश्य था की आकाशीय गणनाओं, नक्षत्र व् समय आदि की जानकारी। जंतर मंतर में 19 प्रमुख उपकरण हैं जो विभिन्न खगोलीय उद्देश्यों के लिए डिज़ाइन किए गए थे।
- वृहद सम्राट यंत्र: यह दुनिया की सबसे बड़ी पत्थर का घड़ी है, जिसकी ऊँचाई 27 मीटर है और यह लगभग दो सेकंड की सटीकता से समय मापने में सक्षम है।
- जय प्रकाश यंत्र: यह एक अनूठी घड़ी जो अवलोककों को अर्धगोलाकार कटोरे का उपयोग करके आकाशीय स्थितियों को मापने की अनुमति देती है।
- राम यंत्र: इसका उपयोग आकाशीय पिंडों की ऊँचाई और कोण ज्ञात करने के लिए किया जाता है।
- दक्षिण भित्ति यंत्र: इसका प्रयोग मेरिडियन दूरी और ऊँचाइयों को मापने के लिए किया जाता था।
- चक्र यंत्र: विभिन्न वैश्विक समय क्षेत्रों के अनुसार विकर्ण डेटा प्रदान करता है।
- गोविंद देव जी मंदिर: जयपुर का आध्यात्मिक केंद्र
गोविंद देव जी जयपुर में स्थित एक हिंदू मंदिर हैं, जिसे भगवान कृष्ण के अवतार के रूप में पूजा जाता है। और यह जयपुर के सिटी पैलेस में स्थित है। यह मंदिर गौड़ीय वैष्णव परंपरा का है और मंदिर की मूर्तियों को राजा सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा वृंदावन से लाया गया था।
गोविंद देव जी मंदिर के प्रमुख उत्सव व त्योहार :-
- जन्माष्टमी: कृष्ण के जन्म का उत्सव
- होली: रंगों का त्योहार
- दीपावली: रोशनी का त्योहार
- अन्नकूट: कृष्ण को भोग लगाने का त्योहार
- नाहरगढ़ किला: जयपुर का शानदार दुर्ग
गुलावी नगरी जयपुर के आसपास कई शानदार किलों है जिनमे से एक है नाहरगढ़ किला। और यह दुर्ग अरावली पर्वतमाला की चोटी पर स्थित है। यह दुर्ग न केवल जयपुर का एक प्रमुख आकर्षण केंद्र है बल्कि राजस्थान के इतिहास में भी अपना वर्चस्व हिस्सा रखता है। किले का निर्माण 1734 में राजा सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा कराया गया था।
वास्तुशिल्प :- नाहरगढ़ किले का वास्तुशिल्प बेहद प्रभावशाली है। इसका निर्माण एक ढलान पहाड़ी पर किया गया है और इसकी दीवारें बेहद मजबूत हैं। किले में कई महल, हवेलियाँ और मंदिर स्थित है। और इस किले से पूरे जयपुर शहर का मनोरम दृश्य दिखाई देता है।
- मदन निवास: यह किले का सबसे बड़ा महल है और इसे राजा सवाई मदन सिंह ने बनवाया गया था।
- जापानी उद्यान: यह उद्यान किले के सबसे शांत स्थानों में से एक है।
- सिद्ध निवास: यह महल किले के दक्षिणी भाग में स्थित है और इसे सवाई जय सिंह द्वितीय ने बनवाया था।
- निशान देवरा: यह एक छोटा मंदिर है जो किले के मध्य में स्थित है।
- जयगढ़ किला: जयपुर का अभेद्य दुर्ग
जयगढ़ किले का निर्माण माहराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने 1667 में करवाया था। और इसका नाम भी उन्हीं के नाम पर रखा गया है। यह किला देखने में अत्यंत मजबूत व आकर्षक लगता है। इसकी वास्तुशिल्प की बात करे तो जयगढ़ किले का वास्तुशिल्प बेहद प्रभावशाली है। इसका निर्माण पहाड़ी ढलान पर किया गया है और इसकी दीवारें बेहद मजबूत हैं। किले में कई महल, हवेलियाँ और मंदिर मौजूद हैं। जो किले के एक विशेषता को दर्शाते है।
- जयबाण तोप: जयगढ़ किले में दुनिया की सबसे बड़ी व घूमने वाली तोप स्थित है। इसका वजन 50 टन है और यह तोप 35 किलोमीटर दूर तक गोला दागने की क्षमता रखती है।
- यांत्रिक खिलौने का संग्रहालय: इस संग्रहालय में राजा सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा बनाए गए यांत्रिक खिलौने प्रदर्शित किए गए हैं।
- पत्रिका गेट: जयपुर का एक आधुनिक आश्चर्य
जयपुर में स्थित पत्रिका गेट अपनी समृद्ध संस्कृति और वास्तुकला के लिए जाना जाता है। इस शहर में कई ऐतिहासिक स्मारक और महल हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। हालाँकि, जयपुर में एक ऐसा भी स्मारक है जो अपनी आधुनिक वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, और वह है पत्रिका गेट।
पत्रिका गेट जयपुर शहर के प्रमुख मार्गों में से एक पर स्थित है। यह एक विशाल द्वार है जिसकी दीवारों पर राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों की संस्कृति और कला को जीवंत रूप से चित्रित किया गया है। इस गेट का निर्माण पत्रिका समूह द्वारा करवाया गया था, जिसके नाम पर इसका नाम रखा गया है।
पत्रिका गेट की विशेषताएं
- विभिन्न क्षेत्रों की कला: पत्रिका गेट की दीवारें राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों की कला और संस्कृति को दर्शाती हैं। यहां आपको राजस्थानी महिलाओं के पारंपरिक वेशभूषा, सैनिक, हाथी, ऊंट, और विभिन्न प्रकार के लोक कला रूप देखने को मिलेंगे।
- रंगीन चित्रकारी: गेट की दीवारों पर की गई रंगीन चित्रकारी बेहद आकर्षक है। इन चित्रों में राजस्थानी रंगों और पैटर्नों का खूबसूरती से इस्तेमाल किया गया है।
- आधुनिक वास्तुकला: पत्रिका गेट की वास्तुकला आधुनिक है, लेकिन इसमें राजस्थानी वास्तुकला के कुछ तत्व भी देखने को मिलते हैं।
- म्यूजिकल फाउंटेन: पत्रिका गेट के सामने एक म्यूजिकल फाउंटेन भी है, जो शाम के समय अपनी रंग-बिरंगी रोशनी और संगीत के साथ बेहद खूबसूरत लगता है।
- बिड़ला मंदिर: शांति और भक्ति का प्रतीक
राजस्थान की गुलावी नगरी में स्थित बिड़ला मंदिर, श्वेत संगमरमर से निर्मित एक भव्य मंदिर है। यह मंदिर भगवान विष्णु और उनकी पत्नी महालक्ष्मी को समर्पित है। यह मंदिर अपनी भव्य वास्तुकला और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर की सुंदरता को लुभाते हुए लाखो पर्यटक यहाँ आते है और पराम् शांति का अनुभव करते है।
मंदिर की विशेषताएं:
- अद्भुद नक्काशी: मंदिर की दीवारों और छतों पर विस्तृत नक्काशी की गई है जो हिंदू धर्म के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती है।
- कांच के खिड़कियां: मंदिर में रंग-बिरंगे कांच की खिड़कियां लगी हैं जो प्राकृतिक रोशनी को अंदर आने देती हैं जिससे मदिर प्रागण और भी बेहद खूबसूरत लगता है।
- संग्रहालय: मंदिर परिसर में एक संग्रहालय भी मौजूद है जो हिंदू धर्म और संस्कृति से संबंधित विभिन्न कलाकृतियां और मूर्तियां को प्रदर्शित करता हैं।
- पर्यटन स्थल: अपनी सुंदरता और शांति के कारण, यह मंदिर जयपुर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है।
- गलता जी मंदिर: जयपुर का प्राचीन और पवित्र तीर्थस्थल
जयपुर के निकट स्थित गलता जी मंदिर, जिसे बंदरो वाला मंदिर भी कहते है यह एक प्राचीन और पवित्र हिंदू तीर्थस्थल है। इस मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में महाराजा जय सिंह द्वितीय ने करवाया गया था। गलता जी मंदिर अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। और यह मंदिर भगवान सूर्य और भगवान शिव को समर्पित है।
मंदिर की खासियतें:-
- मदिर: गलता जी मंदिर अरावली की पहाड़ियों के मध्य में स्थित है और इसका प्राकृतिक वातावरण शांत और मनमोहक लगता है।
- कुंड और झरने: यहां अनेक प्राकृतिक कुंड और झरने स्थित हैं जो पवित्र जल से भरे हुए है। भक्त इन कुंडों में स्नान करके पाप से मुक्ति पाते हैं।
- बंदरों का आश्रय: गलता जी मंदिर को बंदरों का मंदिर भी कहा जाता है क्योंकि यहां हजारों की संख्या में बंदर रहते हैं।
- वास्तुशिल्प: मंदिर की वास्तुकला राजपूत शैली की है जो बहुत ही खूबसूरत है।
- सूर्य मंदिर: यहाँ सूर्य मंदिर में भगवान सूर्य देव की एक विशाल मूर्ति स्थित है।
- शिव मंदिर: यहां शिवलिंग भी स्थापित है।
- राम मंदिर: गलता जी में स्थित राम मंदिर में राम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां स्थित हैं।
- सिटी पैलेस जयपुर: राजस्थान का शाही ठाठ
जयपुर का सिटी पैलेस, पर्यटकों के दिल में बसा एक शानदार महल परिसर है। यह महल कछवाहा राजपूत वंश के शासकों का निवास हुआ करता था और आज यह शहर का सबसे प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है। सिटी पैलेस का निर्माण 18वीं शताब्दी में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने करवाया था। इस महल को बनाने में मुगल, राजपूत और यूरोपीय शैली की वास्तुकला का मिश्रण किया गया था। सिटी पैलेस की वास्तुकला बेहद प्रभावशाली है। यहां आप रंग-बिरंगे मोज़ाइक, जटिल नक्काशी और शानदार दरवाजे देख सकते हैं। महल के अंदर कई आंगन, बगीचे और भवन आज भी मौजूद हैं। जिन्हें हर साल लाखो पर्यटक देखने आते है।
- चंद्र महल: यह महल सिटी पैलेस का सबसे खूबसूरत हिस्सा है। और इसकी दीवारों पर चांदी की परत चढ़ाई गई थी, जिसके कारण यह आज भी चमकता है।
- मबारक महल: यह महल राजाओं के निजी कक्ष हुआ करता था।
- संग्रहालय: यहां आप राजपूत शासकों के कीमती सामान, हथियार और वेशभूषा देख सकते हैं।
- बगीचे: महल के अंदर काफी खूबसूरत बैग – बगीचे मौजूद हैं जहां आप शांति से बैठकर प्रकृति का आनंद ले सकते हैं।
- चोखी ढाणी: राजस्थानी संस्कृति का जीवंत चित्रण
जयपुर के नजदीक ही चोखी ढाणी एक ऐसा स्थान है जहां आप राजस्थानी संस्कृति का सच्चा अनुभव कर सकते हैं। यह एक थीम पार्क भी है जिसे एक पारंपरिक राजस्थानी गांव की तरह डिजाइन किया गया है। यहां आकर आपको लगेगा कि आप समय में पीछे चले गए हैं।
एक शाम चोखी ढाणी में:
यहां आकर आप राजस्थानी लोक संगीत और नृत्य का लुत्फ उठा सकते हैं। यहाँ सांस्कृतिक कार्यक्रमों और लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले गीत और नृत्य आपको मंत्रमुग्ध कर देंगे। चोखी ढाणी पूर्ण रूप से राजस्थानी रंग में रंगी है। यहाँ आप राजस्थानी व्यंजन – दाल-बाटी-चूरमा, गट्टे की सब्जी, प्याज की कचौरी और सांगरी की सब्जी आदि स्थानीय व्यंजनों का स्वाद ले सकते है।
अन्य आकर्षण:
- हाथी और ऊंट की सवारी: पर्यटक यहां हाथी और ऊंट की सवारी का आनंद ले सकते हैं।
- झूले: यहाँ बच्चों के लिए अनेक प्रकार के झूले लगे हुए हैं।
- मंदिर: यहां एक वैष्णो देवी मंदिर भी है।
- कृत्रिम झरना: यहां एक कृत्रिम झरना भी बना हुआ है, जो दिखने में काफी आकर्षक लगता है।
- अल्बर्ट हॉल संग्रहालय: जयपुर का ऐतिहासिक रत्न
गुलावी नगरी जयपुर के दिल में स्थित अल्बर्ट हॉल संग्रहालय राजस्थान का सबसे पुराना संग्रहालय है। यह भव्य भवन अरबी और भारतीय शैली का अद्भुत उदाहरण है। महाराजा राम सिंह द्वितीय ने इसे 1876 में एक टाउन हॉल के रूप में बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन बाद में इसे एक कला संग्रहालय में बदल दिया गया।
संग्रहालय में राजस्थान के इतिहास और संस्कृति से जुड़ी अनेक वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं। यहां आपको प्राचीन मूर्तियां, हस्तशिल्प, हथियार, चित्रकला, और बहुत कुछ देखने को मिलेगा। संग्रहालय की एक विशेष गैलरी में राजस्थानी राजाओं के शाही पोशाक और आभूषण प्रदर्शित किए गए हैं। ये पोशाक और आभूषण राजस्थानी शिल्पकारों की कुशलता का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
- पन्ना मीणा का कुंड: जयपुर की एक रहस्यमयी बावड़ी
जयपुर के अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित पन्ना मीणा का कुंड, यह एक ऐसी बावड़ी है जो अपनी वास्तुकला और रहस्यों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। यह बावड़ी अपनी गहराई, विशाल आकार और अद्भुत वास्तुकला के लिए जानी जाती है। यह बावड़ी जितनी देखने में आकर्षक लगती है उतनी ही जटिल इसकी नक्काशी की गयी है। और इसी कारण लाखो पर्यटक यहाँ आते है और इसे देखकर मंत्र मुग्ध हो जाते है। एक लोकप्रिय मान्यता के अनुसार, बावड़ी में कुल 1800 सीढ़ियां हैं जो नक्काशी बेहद खास है। और अगर आप जिन सीढ़ियों से नीचे चले गए तो उन्हीं से वापस आना नामुंमकिन है।
बावड़ी की विशेषताएं:
- गहराई: यह बावड़ी लगभग 20 मीटर गहरी है।
- सीढ़ियां: बावड़ी में हजारों सीढ़ियां हैं जो विभिन्न स्तरों तक जाती हैं।
- वास्तुकला: बावड़ी की वास्तुकला बेहद खूबसूरत है। इसकी दीवारों पर जटिल नक्काशी भी की गई है।
- पानी: बावड़ी में वर्षा का पानी एकत्रित होता था जो आसपास के क्षेत्र के लोगों के लिए पेयजल का एक महत्वपूर्ण स्रोत था।
- जयपुर के शाही बाजार: एक रंगीन खरीदारी का अनुभव
राजस्थान की राजधानी जयपुर न केवल अपने इतिहास, शाही हवेलियों, दुर्गो और महलों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां के जीवंत बाजार भी पर्यटकों को खूब लुभाते हैं। ये बाजार आज भी राजस्थानी संस्कृति के लिए जाने जाते है। आज हम जयपुर के कुछ प्रमुख बाजारों जैसे – बापू बाजार, जोहरी बाजार, त्रिपोलिया बाजार और चांदपोल बाजार के बारे में विस्तार से जानेंगे।
बापू बाजार
बापू बाजार जयपुर के सबसे पुराण व लोकप्रिय बाजार है। क्योकि यहां आपको राजस्थानी हस्तशिल्प, कपड़े, जूते, आभूषण आदि कुछ मिलेगा। बापू बाजार में आप सस्ते दामों पर खूबसूरत लेहंगे, साड़ियां, और जूते आदि खरीद सकते हैं। यहां के कारीगरों द्वारा बनाए गए हस्तशिल्प भी काफी लोकप्रिय हैं।
जोहरी बाजार
जोहरी बाजार जयपुर का सबसे पुराना और प्रसिद्ध बाजार है। यह बाजार अपने ज्वैलरी के लिए जाना जाता है। यहां आपको सोने, चांदी, और हीरे के बने हुए ज्वैलरी मिलेंगे। जोहरी बाजार में आपको राजस्थानी परंपरागत ज्वैलरी के साथ-साथ आधुनिक डिजाइन के ज्वैलरी भी मिल जाएंगे।
त्रिपोलिया बाजार
त्रिपोलिया बाजार जयपुर का एक और लोकप्रिय बाजार है। यह बाजार अपने लाख के आभूषणों के लिए जाना जाता है। यहां आपको लाख की बनी चूड़ियां, पायल, और अन्य आभूषण मिलेंगे। इसके अलावा, यहां आपको राजस्थानी हस्तशिल्प कपड़े भी मिलेंगे जो देखने में काफी आकर्षक लगते है।
चांदपोल बाजार
चांदपोल बाजार जयपुर का एक ऐतिहासिक बाजार है। यह बाजार अपने मार्बल के शिल्पों के लिए जाना जाता है। यहां आपको मार्बल के बने हुए हाथी, घोड़े, और अन्य जानवरों की मूर्तियां मिल जाएगी। इसके अलावा, यहां आपको राजस्थानी कपड़े और हस्तशिल्प भी देखने को मिलेंगे जिन्हें आप आसानी से खरीद सकते है।
जयपुर घूमने का सही समय :-
गुलावी नगरी के नाम से प्रसिद्ध ये शहर लगभर गर्म इलाका है और अगर आप यहाँ घूमने का प्लेन बना रहे है। सर्दियों का समय सबसे अच्छा रहेगा। आप नवंबर से मार्च के बीच जयपुर की सैर कर सकते है।
जयपुर कैसे पहुंचे :-
आप जयपुर विभिन्न तरीके से पहुंच सकते है जैसे – हवाई मार्ग, रेल मार्ग और सड़क मार्ग।
1. हवाई मार्ग:
- जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा: जयपुर का अपना अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो भारत के सभी प्रमुख शहरों और कुछ अंतर्राष्ट्रीय गंतव्यों से सीधे जुड़ा हुआ है। जैसे दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर आदि।
- सबसे तेज़ विकल्प: हवाई मार्ग जयपुर पहुंचने का सबसे तेज़ विकल्प है।
2. रेल मार्ग:
- जयपुर रेलवे स्टेशन: जयपुर रेलवे स्टेशन भी है जहाँ भारतीय रेल का अच्छा नेटवर्क है।
- आरामदायक यात्रा: रेल यात्रा आरामदायक और किफायती होती है।
3. सड़क मार्ग:
- राजस्थान राज्य परिवहन निगम (आरएसआरटीसी): आरएसआरटीसी जयपुर के लिए नियमित बस सेवाएं चलाती है।
- निजी बसें: कई निजी बस ऑपरेटर भी जयपुर के लिए बसें चलाते हैं।
- स्वयं की गाड़ी: यदि आप अपनी गाड़ी से यात्रा करना चाहते हैं, तो राष्ट्रीय राजमार्ग 11 जयपुर को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ता है। जहाँ से आप सीधे जयपुर आ सकते है।