राजस्थान के अलवर में स्थित भानगढ़ का किला भूतो के किले वजह से देश विदेश में चर्चा में है। भानगढ़ किले के रहस्य की कहानी शुरू होती है। 16वी शताब्दी से आमेर के भगवंत दास ने अपने पुत्र माधोसिंह के लिए भानगढ़ का यह शानदार किला बनवाया। यह किला बहुत बड़ा है। तीनो और से पहाड़ियों से घिरा होने के कारण यह किला बहुत सुन्दर दिखता था।
ऐसा क्या हुआ की यह किला खण्डर में बदल गया। क्यूँ सूर्यास्त के बाद कोई इंसान यहाँ जाने की हिम्मत नहीं कर पाया। जो हिम्मत कर के चला भी गया वो आज तक वापस नहीं आया।
कहा जाता है की यहाँ सूर्यास्त के बाद रानी रत्नावती की चीखों की आवाज़ सुनाई देती है। भूतों का साया मंडराता है। राजा अपना दरबार लगता है। रात में बाजार लगता है। पायल और घुँघरूओ की आवाज़ सुनाई देती है। लोग रात में तो क्या दिन में आने में भी डरते है। ऐसा लगता है, जैसे सूर्यास्त के बाद किले की चारदीवारी मैं अलग ही दुनिया रहती हो।
भानगढ़ किले का रहस्य और खास बाते !
भानगढ़ के खंडहर होने की कहानी
यह किला अपने प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ अपने भूतिया रहस्य की वज़ह से जाना जाता है। कहा जाता है, की करीब 300 साल पहले एक तांत्रिक द्वारा दिये गये श्राप ने इस खूबसूरत किले को खंडहर बना दिया। सैंकड़ो साल पहले घटी इस घटना का कोई ठोस प्रमाण तो नहीं मिलता है। यहाँ घटने वाली घटनाओँ के पीछे कुछ तो वज़ह है। जिससे सरकार भी इस किले को सूर्यास्त के बाद खोलने के निर्देश नहीं देती है।
रानी रत्नावती की खूबसूरती एक वज़ह
भानगढ़ की राजकुमारी की सुंदरता और खूबसूरती पुरे राज्य में चर्चा का विषय थी। अनेक राज्यों से विवाह के प्रस्ताव आ रहे थे। उन्ही दिनों रत्नावती अपनी सखियों के साथ बाजार निकली थी। चूडियो को देखते हुए। वह एक इत्र की दुकान पर रुक गयी और इत्र की खुशबू सूंघ लगी।
वह भी उसी इत्र की दुकान के समीप ही खड़ा था। जहाँ से राजकुमारी इत्र खरीद रही थी। वह कोई और नहीं सिंघीया सेवड़ा नाम का एक व्यक्ति था। यह काले जादू का महारथी और तांत्रिक था। जो रानी से प्रेम करता था। रत्नावती से विवाह करना चाहता था। राजकुमारी ने सेवड़ा की तरफ देखा तक नहीं। जिससे तांत्रिक को बहुत गुस्सा आया। उसने योजना बनाई की क्यों ना रानी को इत्र की बोतल पर वशीकरण कर के दिया जाये। इस योजना के साथ उस इत्र की बोतल पर सेवड़ा ने अपने काले जादू और तांत्रिक विद्या से वशीकरण कर दिया। जिससे रानी उसके पास चली आये। वह बोतल उसने रानी के पास पहुँचा दी।
क्या रानी पर वशीकरण हुआ था ?
जब रानी रत्नावती को पता चला की बोतल पर वशीकरण किया है। तो रानी ने बोतल एक चटान पर फेक दी। जिससे सारा इत्र उस चटान पर फैल गया। वशीकरण के अनुसार वह चटान तांत्रिक सेवड़ा पीछे चली गयी। उससे कुचल कर मार दिया। मरने से पहले तांत्रिक सेवड़ा ने श्राप दिया की भानगढ़ कुछ दिन बाद ही बर्बाद हो जायेगा।
इतिहास में कुछ ही दिन बाद अजबगढ़ ने भानगढ़ पर हमला कर दिया। इस किले को भी खंड़हर में बदल दिया। इस हमले में वहाँ के सभी लोग मारे गए। रानी रत्नावती भी नहीं बच पायी। कहा जाता है की आज भी भानगढ़ में सूर्यास्त के बाद मरे हुए लोगो की आत्मा भटकती है। रानी और वहा के लोगो की चीख पुकार सुनाई देती है। तब से लेकर आज तक कोई भी सूर्यास्त के बाद किले में नहीं जाता है।
आज तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है। जो की भानगढ़ में हुए इस युद्ध और किसी भी कहानी का प्रमाण प्रस्तुत करता हो। फिर भी कुछ तो है, जो भारत सरकार भी पर्यटको को सूर्यास्त के बाद किले में प्रवेश नहीं करने देती है।
भानगढ़ में देखने योग्य स्थान
- केशव राय का मंदिर।
- सोमेश्वर मंदिर।
- गोपीनाथ का मंदिर।
- मंगला देवी।
- गणेश और हनुमान के मंदिर।
- नचनी की हवेली और बाजार।
भानगढ़ किले में जाने का समय
भानगढ़ किला देखने का सरकार के अनुसार सही समय सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक का है। यह किला बारह महीने खुला रहता है। यहाँ अप्रेल से जुलाई तक बहुत गर्मी होती है और तापमान 45 डिग्री से अधिक हो जाता है। जो की सही मौसम नहीं है घूमने का। आप यहाँ अगस्त से मार्च तक किसी भी समय आ सकते है। सरकारी निर्देशों के अनुसार आप सूर्यास्त के बाद यहाँ रुक नहीं सकते।
प्रवेश शुल्क – शून्य
कैसे पहुंचे भानगढ़ किला।
- सड़क मार्ग – दिल्ली से भानगढ़ 300 किलोमीटर, जयपुर से भानगढ़ 80 किलोमीटर।
- हवाई मार्ग– सबसे पास सांगानेर एयरपोर्ट, जयपुर है जो 90 किलोमीटर है।
- रेल मार्ग– रेल मार्ग से जाना चाहे तो नज़दीक रेलवे स्टेशन दौसा रेलवे स्टेशन है जहाँ से प्राइवेट कैब और टैक्सी मिल जाती है।